अनेक बार ऐसा देखा गया है कि सच्चे हृदय से भगवान् की प्रार्थना करने से, अपना इच्छित मनोरथ पूरा कर देने की प्रभु से याचना करने से, वह कार्य पूरा हो जाता है। इस प्रार्थना से सिद्धि मिलने का एक आध्यात्मिक रहस्य है- वह यह है कि प्रार्थना करने वाले को यह विश्वास रहता है कि (१) परमात्मा ऐसा शक्तिशाली है कि वह चाहे तो आसानी से मेरी इच्छा को पूरा कर सकता है। (२)परमात्मा दयालु है। उसके स्वभाव को देखते हुए यह आशा की जा सकती है कि मेरे कार्य को पूरा कर देगा। (३) मेरी माँग उचित, आवश्यक और न्याय संगत है, इसलिए परमात्मा की कृपा मुझे प्राप्त होगी। (४) अपने अन्त:करण का श्रेष्ठतम भाग श्रद्धा, विश्वास परमात्मा पर आरोपण करते हुए सच्चे हृदय से प्रार्थना कर रहा हूँ। इसलिए मेरी पुकार सुनी जायेगी। इन चारों तथ्यों के मिलने से याचक की आकांक्षा प्रबल हो उठती है और उसके पूरे होने का बहुत हद तक उसे विश्वास हो जाता है। आशा की किरणों का प्रकाश उसके अन्त:करण में बढ़ जाता है। ऐसे मानसिक स्थिति का होना सफलता की एक पूर्व भूमिका है। तरीका चाहे कोई भी हो, पर मनुष्य यदि अपनी मानसिक स्थिति ऐसी बना ले कि मेरा मनोरथ सफल होने की पूरी आशा, पूरी संभावना है। तो अधिकांश में उनके मनोरथ पूरे हो जाते हैं; क्योंकि आशा और सम्भावनामयी मनोदशा के कारण शारीरिक और मानसिक शक्तियाँ असाधारण रूप से जाग उठती हैं और उत्तमोत्तम उपाय सूझ पड़ते हैं। मार्ग निकलते हैं, एवं सहयोग प्राप्त होते हैं, जिनके कारण सफलता का मार्ग बहुत आसान हो जाता है और प्राय: वह प्राप्त भी हो जाती है।
Monday 27 February 2012
Tuesday 14 February 2012
GAURI
सब कहते है ये बावरी है पत्थर से बातें करती है किस दुनिया में ये रहती है कलयुग में कृष्णा ढूँढती है |
Friday 3 February 2012
Thursday 2 February 2012
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