Wednesday 21 December 2011

हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी.


जब से देखा तुझे, जाने क्या हो गया...
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी
तू दाता है तेरी , पुजारी हूँ मैं...
तेरे दर का लाल जी भिखारी हूँ मैं...
तेरे चौखट पे दिल ये मेरा खो गया..
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं तेरी हो गयी
जब से मुझको, तेरी मोहन भक्ति मिली...
मेरे मुरझाये मन में, ये कालिया खिली..
जो न सोचा कभी, था वही हो गया..
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी.

तेरे दरबार की वाह, अजब शान है...
जो भी देखे वो ही, तुझेपे कुर्बान है...
तेरी प्रीति का मुझको नशा हो गया...
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी


लाल जी! जब तेरी झांकी का, दर्शन किया...
तेरे चरणों में तन-मन, यह अर्पण किया...
एक दफा वृंदावन धाम, में जो भी गया.,.
हे वृंदावन के श्री राधारमण, वो तेरा हो गया...

जब से देखा तुझे, जाने क्या हो गया...
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं .तेरी हो गयी..

Monday 19 December 2011

mero sundar sawanriya ke mann mohak roop ke darshan






निज दोष को निहार लो बस हो गया भजन


मन की तरंग मार लो बस हो गय भजन ।
आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन ॥
आऐ हो तुम कहाँ से जाओगे तुम जहाँ ।
इतना सा बस विचार लो बस हो गया भजन ॥
कोई तुमहे बुरा कहे तुम सुन करो क्षमा ।
वाणी का स्वर संभार लो बस हो गया भजन ॥
नेकी सबही के साथ में बन जाये तो करो ।
मत सिर बदी का भार लो बस हो गया भजन ॥
कहना है साफ साफ ये सदगुरु कबीर का ।
निज दोष को निहार लो बस हो गया भजन ॥


प्रेम बंधन में यूं मुझको बांधो, डोर बंधन की टूटे कभी ना...

इतनी कर दे दया श्री राधारमण, तेरे चरणों में जीवन बिताऊं...
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों को न भूल पाऊं.... 


प्रेम बंधन में यूं मुझको बांधो, डोर बंधन की टूटे कभी ना... 
अपनी पायल का घुँघरू बना लो, दास चरणों से छुटे कभी ना...
अपने चरणों से ऐसे लगा लो, तेरे चरणों का गुणगान गाऊं.... 
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों को न भूल पाऊं.... 


अपनी नजरों से कभी न गिराना, नेक राहों पे मुझको चलाना... 
दीनबंधु दया का खजाना, बेबसों पे हमेशा लुटाना....
मैं तो जैसा भी हूँ बस तुम्हारा, आके दर पे खड़ा सिर झुकाऊं... 
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों न भूल पाऊं.... 


इतनी कर दे दया श्री राधारमण, तेरे चरणों में जीवन बिताऊं...
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों को न भूल पाऊं....