Wednesday, 21 December 2011

हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी.


जब से देखा तुझे, जाने क्या हो गया...
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी
तू दाता है तेरी , पुजारी हूँ मैं...
तेरे दर का लाल जी भिखारी हूँ मैं...
तेरे चौखट पे दिल ये मेरा खो गया..
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं तेरी हो गयी
जब से मुझको, तेरी मोहन भक्ति मिली...
मेरे मुरझाये मन में, ये कालिया खिली..
जो न सोचा कभी, था वही हो गया..
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी.

तेरे दरबार की वाह, अजब शान है...
जो भी देखे वो ही, तुझेपे कुर्बान है...
तेरी प्रीति का मुझको नशा हो गया...
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं ..तेरी हो गयी


लाल जी! जब तेरी झांकी का, दर्शन किया...
तेरे चरणों में तन-मन, यह अर्पण किया...
एक दफा वृंदावन धाम, में जो भी गया.,.
हे वृंदावन के श्री राधारमण, वो तेरा हो गया...

जब से देखा तुझे, जाने क्या हो गया...
हे वृंदावन के श्री राधारमण, मैं .तेरी हो गयी..

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