Wednesday, 4 January 2012

जिधर देखती हु उधर तुम ही तुम हो




जिधर देखती हु उधर तुम ही तुम हो
न जाने कन्हैया तेरे ख्यालो में क्यो गुम हु
दिल में भी तू है
ऑखो में तू है
तेरी दीवानी है गौरी

हो तो तुम पास ही मेरे ओह मेरे श्याम
पर नजाने क्यों दर्शन ना देते हो श्याम
तेरी ही मूरत मन में बसी हैं घनशयाम
बसी हैं बन्सीवाले की बाँकी अदा
जिसने सारे जग को दीवाना हैं किया
मोर मुकुट लगाये घूमते हो हिये में हमारे
बंसी बजाके हिये को चुरा के
अब चित चोर तुम जाते हो कहा
आँखों का पर्दा तो हटा दो
मोहे दरस अपने तो करवा दो


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