Monday, 19 December 2011

प्रेम बंधन में यूं मुझको बांधो, डोर बंधन की टूटे कभी ना...

इतनी कर दे दया श्री राधारमण, तेरे चरणों में जीवन बिताऊं...
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों को न भूल पाऊं.... 


प्रेम बंधन में यूं मुझको बांधो, डोर बंधन की टूटे कभी ना... 
अपनी पायल का घुँघरू बना लो, दास चरणों से छुटे कभी ना...
अपने चरणों से ऐसे लगा लो, तेरे चरणों का गुणगान गाऊं.... 
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों को न भूल पाऊं.... 


अपनी नजरों से कभी न गिराना, नेक राहों पे मुझको चलाना... 
दीनबंधु दया का खजाना, बेबसों पे हमेशा लुटाना....
मैं तो जैसा भी हूँ बस तुम्हारा, आके दर पे खड़ा सिर झुकाऊं... 
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों न भूल पाऊं.... 


इतनी कर दे दया श्री राधारमण, तेरे चरणों में जीवन बिताऊं...
मैं रहु इस जगत में कही भी, तेरे श्री चरणों को न भूल पाऊं.... 

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