Tuesday, 1 November 2011

मेरे मन मंदिर में आ

मैं कनु कैसे तुम्हे बताऊ 
कैसे इस दिल का हाल सुनाऊ
जब सामने तेरे जाती हूँ
दुनिया से बेखबर हो जाती हूँ
मैं तेरी प्यारी प्यारी मतवाली
कजरारी आँखों में डूब जाती हूँ
रसराज रसशेखर रस हमें भी पिला
कब से खडे कतार में
दो बूँद प्रेम रस पिला
इस दिल का हाल
न छिपा हैं तुमसे मोहन
दीद प्यासों को दीद करा
मेरे मन मंदिर में आ
श्याम मेरे अब न सता
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.•♥•.⋰·║█░.•♥•..श्री कृष्ण शरणम् ममः.•♥•.░░█║..⋰·.•♥•.
.•♥•.⋰·चोखो, बुरो, कुटिल अरु कामी, जो कुछ हूँ सो थाँरो॥.•♥•.⋰·
.•♥•.⋰·बिगड्यो हूँ तो थाँरो बिगड्यो, थे ही मनै सुधारो।.•♥•.⋰·
.•♥•.⋰·║█░.•♥•..श्री कृष्ण शरणम् ममः.•♥•.░░█║..⋰·.•♥•.

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