Tuesday, 1 November 2011

सांवरिया आ जा रे !


तुझे चाहने के काबिल तो नहीं गिरधरमगर खता हैं मेरी जो तेरी चाहतो को चाहने से रोक नहीं पाती तेरी यादो के भवंर में उलझी जाती हूँ तेरी यादो में हर दम आंसू रुपी जल गिराती हूँ तू चाहे सामने होता हैं फिर भी यह आंसू जाने क्यों रुकते नहीं अपने सीमाएं तोड़ बाहर आ जाते हैं मुझे बड़ा सताते हैं मगर फिर भी यह आंसू भी बड़े प्यारे लगते हैं जो मेरे सांवरे की यादों में बहते हैं और मेरे सांवरे को यह कहते हैं सांवरिया आ जा रे !

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