Sunday 17 June 2012


महात्मा की परीक्षा – जहां स्वार्थ है वहाँ करामत नहीं है| स्वार्थ आने के बाद करामत भाग जाती है यानी वह महात्मा नहीं है| जहां भोग-विलास है वहाँ भी महात्मा नहीं है| उच्चकोटिका पुरुष कभी अपनेको श्रेष्ठ नहीं बतावेगा| दुसरे आदमी श्रेष्ठ बतावेंगे तो वे लज्जित हो जावेंगे| वक्ता ऐसा होना चाहिए जो पहले खुद करे फिर उसका प्रचार करे|

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