Tuesday, 13 September 2011

ओ मोरी राधा रानी.







ओ मोरी राधा रानी.. काहे
जा बैठी तू जमुना किनारे
मोरी भोली गयया .. बंसी
तोहे ही पुकारे..

गोपियन तो सितारो जैसी
चंदा तू है राधा..
मैं तो अधूरा हू तू
अंग मोरा आधा ..

तू ही मोरी जीवन साथी
जेसे दिया और बाती
काहे भूलू तोहे, मोहे तू बता रे

ओ मोरी राधा रानी.. अरज करू आ रे..



.......राधा जी भी बड़ी भोली है जल्दी से मान जाती है......

ओ कन्हाई मोरे.. सुनता जा रे
तेरे संग प्रीत कभी टूट ना पाए रे.
तुझ पर आने से पहले
विपदा... आँगन मोरे आए रे...

तोरि सुनकर मुरलिया
मैं नाची जाउ..
देख देख जमुना मे ख़ुदको
शरमाती जाउ..

जादू कैसा तूने लाली पे किया रे..

ओ कन्हाई मोरे.. बतलाता जा रे..

.........और समस्त पृथ्वी प्रेम के पाशो मे बँध जाती है क्योंकि कान्हा राधा के रास का प्रारंभ होता है.. ...














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