दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे.. मन मंदिर में ज्योत जला दो घट घट वासी रे... मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी . युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे .. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले . अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे .. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ . आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे .. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. |
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