जादू कैसा तूने लाली पे किया रे..
राधा को सुध नाही
कान्हा के आलिन्गन मे
दोनो का मन रमा
एक दूजे के मॅन मे..
कान्हा भूले गय्या अपनी
भूले गोकुल नगरी..
राधिका भी भूली सखिया,
पनघट पे गगरी..
रास की रामाई मे रम्वत जा रे
ओ कान्हा राधिका का तू हौ जा रे...
चंदा की चटक चुनर
कैसी लहराई.. कान्हा की बाहो मे
कैसी लाली शरमाई..
उठाके चले राधा रानी को कान्हा
कनुप्रिया जो थकने को आई
मेघ झूमे धरा पर बूँदे गिराए रे
झूमे धरती सारी अंबर झूमे जाए रे
सारा जग राधा कान्हा, ..मय होई जाए रे..
कान्हा राधा.. राधा कान्हा मय होई जाए रे..

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