[अमृत और ज़हर दोनों हैं सागार में एक साथमंथन का अधिकार है सबको,फल प्रभु तेरे हाथ ]तेरे फूलों से भी प्यारतेरे काँटों से भी प्यारजो भी देना चाहे दे दे करतारदुनिया के तारण हारतेरे फूलों से भी प्यार ............चाहे सुख दे या दुःख , चाहे ख़ुशी दे या ग़ममालिक जैसे भी रखेगा वैसे , रह लेंगे हममालिक रह लेंगे हमचाहे हंसी भरा संसार दे , या आंसुओं की धारजो भी देना चाहे दे दे करतारदुनिया के तारण हारतेरे फूलों से भी प्यार ............हम को दोनों हैं पसंद , तेरी धुप और छाँवदाता किसी भी दिशा में ले चल, ज़िन्दगी की नावले चल ज़िन्दगी की नावचाहे हमें लगा दे पार , डूबा दे चाहे हमें मंझधारजो भी देना चाहे दे दे करतारदुनिया के तारण हारतेरे फूलों से भी प्यार ............ |
Thursday, 22 September 2011
तेरे फूलों से भी प्यार
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