Tuesday, 13 September 2011

गर्भ संहिता में श्रीकृष्ण के बचपन से लेकर राधा से विवाह तक की पूरी कहानी का वर्णन है। कृष्ण के लए ब्रह्म ने कितना त्याग किया इसकी भी पूरी जानकारी इसी गर्भ संहिता में मिल जाएगी।


गर्ग संहिता में भगवान श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं का सबसे पौराणिक आधार का वर्णन किया गया है। गर्ग संहिता के सोलहवें अध्याय में राधा और कृष्ण के विवाह की कथा है। कथा की शुरूआत श्रीकृष्ण के बाल अवस्था से होती है। जब कृष्ण की उम्र महज दो साल सात महीने थी। एक बार नंद बाबा बालक कृष्ण को लेकर अपने गोद में खिला रहे हैं। उनके साथ दुलार करते हुए वो वृंदावन के इस भांडीर वन में आ जाते हैं। 

श्रीकृष्ण के लिए वन पहुंचीं राधा

पुष्कर। इस बीच एक बड़ी ही अनोखी घटना घटती है। अचानक तेज हवाएं चलने लगती हैं। बिजली कौंधने लगती है। देखते ही देखते चारों ओर अंधेरा छा जाता है। और इसी अंधेरे में एक बहुत ही दिव्य रौशनी आकाश मार्ग से नीचे आती है।
नंद जी समझ जाते हैं कि ये कोई और नहीं खुद राधा देवी हैं जो कृष्ण के लिए इस वन में आई हैं। वो झुककर उन्हें प्रणाम करते हैं। और बालक कृष्ण को उनके गोद में देते हुए कहते हैं कि हे देवी मैं इतना भाग्यशाली हूं कि भगवान कृष्ण मेरी गोद में हैं और आपका मैं साक्षात दर्शन कर रहा हूं।
भगवान कृष्ण को राधा के हवाले करके नंद जी घर वापस आते हैं तबतक तूफान थम जाता है। अंधेरा दिव्य प्रकाश में बदल जाता है और इसके साथ ही भगवान भी अपने बालक रूप का त्याग कर के किशोर बन जाते हैं।

ब्रह्मा जी का कृष्ण के प्रति स्नेह

पुष्कर। भांडीर वन का रिश्ता कृष्ण की गाथा से बहुत करीब से जुड़े़ हैं। कृष्ण की किशोरावस्था और राधा का कृष्ण के प्रति भाव को देखकर ब्रह्मा जी प्रकट होते हैं। दोनों के चरणों में शीश झुकाते हैं और स्तुति करते हैं।
ब्रह्मा के मुख से अपनी स्तुति सुनकर भगवान श्रीकृष्ण बेहद खुश होते हैं। तब ब्रह्मा जी उन्हें याद दिलाते हैं कि राधा और कृष्ण का स्नेह देखने के लिए उन्होंने ये सब किया था।
तबतक कहानी ने पुष्कर की तरफ मौड़ ले ली थी। क्या आप जानते हैं कि पुष्कर भगवान ब्रह्मा की नगरी है। और इसी पुष्कर में भगवान ब्रह्मा ने 60 हजार सालों तक श्रीकृष्ण और राधा के इस स्वरुप के दर्शन के लिए तप किया था।

ब्रह्मा ने कराई राधा-कृष्ण की शादी

भांडीर वन। माना जाता है कि राधा और कृष्ण की शादी कराने में ब्रह्मा जी का बड़ा योगदान था।
भगवान ब्रह्मा ने जब श्रीकृष्ण को सारी बातें याद दिलाईं तो उन्हें सबकुछ याद आ गया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से शादी के लिए वेदी को सजाया।
गर्ग संहिता के मुताबिक शादी से पहले उन्होंने श्रीकृष्ण और राधा से सात मंत्र पढ़वाए। भांडीर वन के वेदीनुमा वही पेड़ के नीचे जहां पर बैठकर राधा और कृष्ण ने शादी हुई थी।

भांडीर के पास है वंशी वन

भांडीर वन से श्रीकृष्ण की तमाम लीलाएं जुड़ी हैं। क्या आप जानते है कि भांडीर वन के पास ही है वो वंशी वन जहां भगवान कृष्ण अक्सर वंशी बजाने जाया करते थे।
कहा जाता है कि हजारों साल पुराना वंशी वन आज भी मौजूद है साथ ही वो वृक्ष भी मौजूद है जिसपर कृष्ण भग्वान बांसुरी बजाए करते थे।

कृष्ण को याद आया नंद गांव

नंद गांव। शादी के बाद काफी दिनों तक भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ इन वनों में रास रचाते रहे। लेकिन एक दिन उन्हें नंद गांव की याद आई और वो राधा की गोद में वैसे ही बालक बन गए जैसे राधा को नंद जी ने दिया था।
इस घटना के बाद तो राधा रोने लगी। इसके बाद एक आकाश वाणी हुई। हे राधा इस वक्त शोक मत करो। अब तुम्हारा मनोरथ कुछ वक्त के बाद पूरा होगा।
राधा समझ गई कि भगवान अब अपने उस काम के लिए आगे बढ़ रहे हैं जिसके लिए उन्होंने अवतार लिया है। इसके बाद राधा भगवान श्रीकृष्ण के बालक रुप को गोद में लेकर नंद गांव गई और नंद के हाथों बाल गोपाल को समर्पित कर दिया।

            3 comments:

            1. AAP SABHI SE HAAT JOD KAR CHHAMA CHAHENGE ESS POST ME EK TRUTI HO GAYI HAI--GARG SNHITA KI JAGAH GARB SANHITA LIKH GAYA HAI ---UMEED HAI AAP SAB MERI ESS BHOL KE LIYE MUJHE CHHAMA KARENGE-----AAP SABKI AUR KANHA DEWWANI GAURI!!!!!!HARI BOL



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            2. And not bhram its bhramma(trinity)...

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            3. And not bhram its bhramma(trinity)...

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