Tuesday, 11 October 2011

मोहे दरस अपने तो करवा दो


हो तो तुम पास ही मेरे ओह मेरे श्याम
पर नजाने क्यों दर्शन ना देते हो श्याम
तेरी ही मूरत मन में बसी हैं घनशयाम
बसी हैं बन्सीवाले की बाँकी अदा
जिसने सारे जग को दीवाना हैं किया
मोर मुकुट लगाये घूमते हो हिये में हमारे
बंसी बजाके हिये को चुरा के
अब चित चोर तुम जाते हो कहा
आँखों का पर्दा तो हटा दो
मोहे दरस अपने तो करवा दो

1 comment:

  1. ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे...
    तुमरे बिन हमरा, कौनों नाहीं...
    हमरी उलझन, सुलझाओ भगवन...
    तुमरे बिन हमरा, कौनों नाहीं...

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