Sunday, 16 October 2011

अपने ही रंग में तू मोहे रंग दे


कान्हा के रंग में कौन नहीं रंगना चाहता  ये एक ऐसा रंग है जिसमे रंगने के बाद कोई और दूजा 
रंग नहीं भाता ---गौरी को श्याम रंग है भाया मोहे अपने ही रंग में रंग ले कान्हा ----- 
ऐ श्याम पुकारू तोहे बारम्बार
आजा श्याम आजा श्याम
दे जा मोहे तू अपना दीदार
अपने ही रंग में तू मोहे रंग दे
दीवानी अपनी मोहे बना जा
मेरी आँखों में तू अपना
प्रेम समुन्द्र का जल छिड़का जा
मेरे हृदय सिंघासन पे आ
मोहे श्याम खुद बी खुद अपनी बना
मैं न जानू कुछ भी
ज्ञान भक्ति वैराग्य कुछ भी न जानू श्याम
जानू तो बस तेरा इक नाम जानू
बस इतना ही जानू
के तू हैं मेरा सचा सहारा
तू ही मेरा यार तू ही दिलदार
तू ही तो हैं मेरा प्रीतम प्यारा
आजा न श्याम आजा
http://lh5.ggpht.com/_2EIn1YC8mrA/SOLVWEJyXUI/AAAAAAAAFg8/0dD7g0qa_ho/Bar153B.gifhttp://i219.photobucket.com/albums/cc181/dearkrishna/krishnaaaa.jpg

http://lh5.ggpht.com/_2EIn1YC8mrA/SOLVWEJyXUI/AAAAAAAAFg8/0dD7g0qa_ho/Bar153B.gif

No comments:

Post a Comment