ऐ मेरे प्यारे श्यामसुंदर,
क्यों नैनो को इतना तरसाते हो
क्यों हिये को हमारे तुम तडपाते हो
क्या हुई हैं भूल हमसे
जरा हमे इतना ही बताते जाओ
तुम क्यों नही करते मुझसे बात
जरा यह राज बताते जाओ
नैनो में लगी हैं असूअन लड़ी
मैं कबसे हूँ तेरे इंतज़ार में
तेरे ही द्वार पर पड़ी
पर तू दो शब्द भी मुझसे क्यों नही कहता
क्यों कर रखी हैं तुमने
मुझसे यु इतनी दूरी
इतने पास हो तुम
फिर भी क्यों मोहन हैं यह दूरी
दो बातें मुझसे भी तो करते जाओ
श्यामसुंदर मेरे मुझ पर कृपा करो
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