Sunday, 16 October 2011

आता नही हैं मुझे करना तेरा गुणगान



सच कहू ओह मेरे श्याम 
  आता  नही हैं मुझे करना तेरा गुणगान  
फिर भी अटपटी भाषा में 
जो मन में आये बकती रहती हूँ 
क्या अछा क्या बुरा 
कुछ न होता हैं ख्याल 
मैं तो बस करती हूँ 
तुमसे अपने मन की बात 
मुझे तू प्यारा लगता हैं 
सारे जग से न्यारा लगता हैं 
तेरी मुरली की तान सुनने को मन करता हैं 
कभी तेरे पायल के घूंगरू की तान को दिल मचलता हैं 
तो कभी मन में आई तेरी एक झलक 
सब होश उडा देती हैं 
हमे तेरा दीवाना बना देती हैं 
रोम रोम नृत्य करता हैं 
बस उसी पल में रहने को जी करता हैं 
बस उसी पल में .....बस उसी पल में------गौरी 


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