Tuesday, 11 October 2011

MUJHE CHARNO SE LAGA LE-------


mujhe charno se laga le mere shyam murli wale .... mujhe charno se laga le mere shyam murli wale .... bhakto ki tumne kanha vipda hai tari ..... meri bhi bah thambo aake bihari ,,,,, ... ..mujhe charno se laga le mere shyam murli wale ....
jai jai shri radhey .....


जब-जब इस धराधाम पर प्रभु अवतरित हुए हैं उनके साथ साथ उनकी आह्लादिनी शक्ति भी उनके साथ ही रही हैं। स्वयं श्री भगवान ने श्री राधा जी से कहा है - "हे राधे! जिस प्रकार तुम ब्रज में श्री राधिका रूप से रहती हो, उसी प्रकार क्षीरसागर में श्री महालक्ष्मी, ब्रह्मलोक में सरस्वती और कैलाश पर्वत पर श्री पार्वती के रूप में विराजमान हो।
रस राज श्री कृष्ण आनन्दरूपी चन्द्रमा हैं और श्री प्रिया जू उनका प्रकाश है। श्री कृष्ण जी लक्ष्मी को मोहित करते हैं परन्तु श्री राधा जू अपनी सौन्दर्य सुषमा से उन श्री कृष्ण को भी मोहित करती हैं। परम प्रिय श्री राधा नाम की महिमा का स्वयं श्री कृष्ण ने इस प्रकार गान किया है-"जिस समय मैं किसी के मुख से ’रा’ अक्षर सुन लेता हूँ, उसी समय उसे अपना उत्तम भक्ति-प्रेम प्रदान कर देता हूँ और ’धा’ शब्द का उच्चारण करने पर तो मैं प्रियतमा श्री राधा का नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे-पीछे चल देता हूँ"



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