अब तो यह आँसू जब भी हमे तनहा पाते हैं
तेरी यादो में ऐ कान्हा ,तड़प तड़प कर
अपनी हद से बाहर छलक आते हैं
इतने शीतल के सब शीतल ही शीतल कर जाते हैं
तेरी यादों में हमे इक पल के लिए ही शायद
शायद यह हमे तेरा दीवाना बना जाते हैं
तेरी यादो में ऐ कान्हा ,तड़प तड़प कर
अपनी हद से बाहर छलक आते हैं
इतने शीतल के सब शीतल ही शीतल कर जाते हैं
तेरी यादों में हमे इक पल के लिए ही शायद
शायद यह हमे तेरा दीवाना बना जाते हैं

हमे सांवरे सलोने का दीदार चाहिए
ReplyDeleteहमे नटवर के इश्क का बीमार चाहिए
माधुरी सी मूर्ति हरदम हो सामने
हमे सांवरे के प्रेम का इतबार चाहिए
रसिक सांवरे की नजर हो इस तरफ
...हमे मोर मुकुट वाला ही दिलदार चाहिए