Sunday, 16 October 2011

मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ


कान्हा रे ओह कान्हा सुन ले मेरी पुकार
मुझे बुला ले तू अपने पास
या फिर तू ही आजा न मेरे पास
तू इस कदर पास मेरे आना
के तेरे सिवा किसी और का ध्यान ही न रहे
मैं खो जाऊ तुझमें इस कदर
के दुनिया को कोई परवाह न रहे
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ
कृपा मुझपे कर दो मेरे नाथ
Pure love of radhey krishna

1 comment:

  1. अब तो यह आँसू जब भी हमे तनहा पाते हैं
    तेरी यादो में ऐ कान्हा ,तड़प तड़प कर
    अपनी हद से बाहर छलक आते हैं
    इतने शीतल के सब शीतल ही शीतल कर जाते हैं
    तेरी यादों में हमे इक पल के लिए ही शायद
    शायद यह हमे तेरा दीवाना बना जाते हैं

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