कान्हा रे ओह कान्हा सुन ले मेरी पुकार
मुझे बुला ले तू अपने पास
या फिर तू ही आजा न मेरे पास
तू इस कदर पास मेरे आना
के तेरे सिवा किसी और का ध्यान ही न रहे
मैं खो जाऊ तुझमें इस कदर
के दुनिया को कोई परवाह न रहे
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ
कृपा मुझपे कर दो मेरे नाथ
मुझे बुला ले तू अपने पास
या फिर तू ही आजा न मेरे पास
तू इस कदर पास मेरे आना
के तेरे सिवा किसी और का ध्यान ही न रहे
मैं खो जाऊ तुझमें इस कदर
के दुनिया को कोई परवाह न रहे
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ
कृपा मुझपे कर दो मेरे नाथ

अब तो यह आँसू जब भी हमे तनहा पाते हैं
ReplyDeleteतेरी यादो में ऐ कान्हा ,तड़प तड़प कर
अपनी हद से बाहर छलक आते हैं
इतने शीतल के सब शीतल ही शीतल कर जाते हैं
तेरी यादों में हमे इक पल के लिए ही शायद
शायद यह हमे तेरा दीवाना बना जाते हैं