करू मैं वन्दन बारम्बार
जाती तो हैं मेरी हर पुकार तेरे पास
फिर भी क्यों ना देने आता हैं तू
मोहे अपने दर्शन साकार
अपने प्रेम सागर की लहरों में
तू आ के कहीं हमे डुबो जा
हमे अपना बना ले कमलनयन
या कान्हा मेरा तू हो जा
मेरा इक तू सखा हैं श्याम
सखी अपनी को तू
दर्शन अपना देजा
जाती तो हैं मेरी हर पुकार तेरे पास
फिर भी क्यों ना देने आता हैं तू
मोहे अपने दर्शन साकार
अपने प्रेम सागर की लहरों में
तू आ के कहीं हमे डुबो जा
हमे अपना बना ले कमलनयन
या कान्हा मेरा तू हो जा
मेरा इक तू सखा हैं श्याम
सखी अपनी को तू
दर्शन अपना देजा

अनमोल है तेरी, दया के फ़साने...
ReplyDeleteतू है अजब, तेरे अजब है दीवाने...
'नंदू' दीवानों संग, अलख जगाये...
तुम्ही श्याम अपने, सगरे पराये...