सच कहू ओह मेरे श्याम
आता नही हैं मुझे करना तेरा गुणगान
फिर भी अटपटी भाषा में
जो मन में आये बकती रहती हूँ
क्या अछा क्या बुरा
कुछ न होता हैं ख्याल
मैं तो बस करती हूँ
तुमसे अपने मन की बात
मुझे तू प्यारा लगता हैं
सारे जग से न्यारा लगता हैं
तेरी मुरली की तान सुनने को मन करता हैं
कभी तेरे पायल के घूंगरू की तान को दिल मचलता हैं
तो कभी मन में आई तेरी एक झलक
सब होश उडा देती हैं
हमे तेरा दीवाना बना देती हैं
रोम रोम नृत्य करता हैं
बस उसी पल में रहने को जी करता हैं
बस उसी पल में .....बस उसी पल में
आता नही हैं मुझे करना तेरा गुणगान
फिर भी अटपटी भाषा में
जो मन में आये बकती रहती हूँ
क्या अछा क्या बुरा
कुछ न होता हैं ख्याल
मैं तो बस करती हूँ
तुमसे अपने मन की बात
मुझे तू प्यारा लगता हैं
सारे जग से न्यारा लगता हैं
तेरी मुरली की तान सुनने को मन करता हैं
कभी तेरे पायल के घूंगरू की तान को दिल मचलता हैं
तो कभी मन में आई तेरी एक झलक
सब होश उडा देती हैं
हमे तेरा दीवाना बना देती हैं
रोम रोम नृत्य करता हैं
बस उसी पल में रहने को जी करता हैं
बस उसी पल में .....बस उसी पल में
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