मुझमे ही बैठा हैं वो छिप के कहीं पे
रोम रोम में हैं मेरे अंतर मन में
हम में रह कर हमी से करते हैं पर्दा
देखा हैं ऐसा दिलदार कहीं साँवरा
हम भी उसको ही पुकारें हैं
जिद्द अपनी हम भी ठाने हैं
इक बार तो दर्शन करवा दो बिहारी
इक बार तो आ जाओ
मुरली की तान सुना जाओ
मेरी आत्मा में तुम समा जाओ
मुझे अपना तुम बना जाओ
मुझे अपने में समा जाओ
श्याम सरकार मेरे इक बार तो आ जाओ
रोम रोम में हैं मेरे अंतर मन में
हम में रह कर हमी से करते हैं पर्दा
देखा हैं ऐसा दिलदार कहीं साँवरा
हम भी उसको ही पुकारें हैं
जिद्द अपनी हम भी ठाने हैं
इक बार तो दर्शन करवा दो बिहारी
इक बार तो आ जाओ
मुरली की तान सुना जाओ
मेरी आत्मा में तुम समा जाओ
मुझे अपना तुम बना जाओ
मुझे अपने में समा जाओ
श्याम सरकार मेरे इक बार तो आ जाओ


धन अकिंचन का श्री कृष्ण शरणम् ममः..
ReplyDeleteलक्ष्य जीवन का श्रीकृष्ण शरणम् ममः..
दीन दुखियों का निर्बल जनों का सदा,
दृढ़ सहारा है श्रीकृष्ण शरणम् ममः..!!!!!
कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पडे,
ReplyDeleteजाना था गंगा पार प्रभू केवट की नाव चढ़े --२
JAI SRI KRISHNA!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!