Friday, 14 October 2011

हम तो है सिर्फ तेरी शरण में



तेरे कारण महिमा ब्रिज की
तूने बढ़ाया एसका मान
तेरे जनम से हुई ये पावन
बैकुंड से भी हुई महान
छोड़ के सारे धन और वैभव
लक्ष्मी सेवा करती है यहा
हम किया छोड़े तू ही बता
तेरे सिवा   कुछ है कहा
प्राण हमारे तेरे चरण में
हम तो है सिर्फ तेरी शरण में
वन वन में हम ढूंढ रही है
छाबि न आई हमरे नयन में----गौरी तेरे दरसन को प्यासी अब तो आ जाओ सवारिया 


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