तेरे कारण महिमा ब्रिज की
तूने बढ़ाया एसका मान
तेरे जनम से हुई ये पावन
बैकुंड से भी हुई महान
छोड़ के सारे धन और वैभव
लक्ष्मी सेवा करती है यहा
हम किया छोड़े तू ही बता
तेरे सिवा कुछ है कहा
प्राण हमारे तेरे चरण में
हम तो है सिर्फ तेरी शरण में
वन वन में हम ढूंढ रही है
छाबि न आई हमरे नयन में----गौरी तेरे दरसन को प्यासी अब तो आ जाओ सवारिया






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