Friday, 14 October 2011

मैया नही छोडेगी उसे आज


मैया नही छोडेगी उसे आज
किया है कान्हा ने ऐसा काज
लाख समझाया मैया ने पर
वो शैतान न आया बाज

दही की हांडी ही फोड डाली
और बन्दरों में दिया है बाँट
आज तो मार पड़ेगी उसको
पहले बस लगती थी डाँट

भले सचिदानंद कहते हैं उसको
पर भूल गया वो वैभव अपना
दिख रहा बस डंडा माँ का
भाग ले भाग सके है जितना

माँ के डर से भाग रहा लल्ला
कान का कुंडल गाल पे आये
ये लो मैया भी तेज से दौडी
अब बच के कान्हा कहाँ को जाए

किसी की पकड़ में न आने वाले
उन्हें आज माँ ने लिया है थाम
ऐसे भगवान दामोदर को मै
करूँ बारंबार प्रणाम ,बारंबार प्रणाम.

1 comment:

  1. मोर मुकुट तेरे शीश पे सोहे !
    प्यारी मुरली मुनि मन मोहे !
    sri radhey

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